बदलते मौसम में गिलोय का उपयोग
इस बदलते मौसम में गिलोय का उपयोग कर सकते हैं-गिलोय, जिसे आयुर्वेद में "अमृता" भी कहा जाता है, एक औषधीय बेल है जिसका वैज्ञानिक नाम Tinospora cordifolia है। इसे आयुर्वेद में हजारों सालों से रोगों के उपचार के लिए उपयोग किया जा रहा है। गिलोय की बेल का तना, पत्ते, और जड़ें सभी औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। गिलोय में एक और बात है जब श्री राम और रावण में युद्ध हुआ था, तो बहुत सारे बंदर घायल अवस्था में थे तब श्री राम ऊपर की ओर प्रार्थना किया तब अमृत का वर्ष हुआ था, सारे बंदर ठीक अवस्था में हो गए थे, जहां -जहां अमृत के वर्षा गिरे वहां गिलोय उत्पन्न हो गए थे, इसी कारण गिलोय में अमृत पाया जाता है,
गिलोय के बारे में मुख्य बातें:
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला: गिलोय शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है और सर्दी, खांसी, बुखार जैसी बीमारियों से लड़ने में सहायक है।
एन्टी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर: इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में विषैले तत्वों को बाहर निकालते हैं और शरीर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं।
बुखार का प्राकृतिक इलाज: यह मलेरिया, डेंगू, वायरल फीवर जैसे बुखारों में राहत दिलाने में सहायक है। आयुर्वेद में इसे बुखार कम करने के लिए जाना जाता है।
शरीर में ऊर्जा का संचार: गिलोय का सेवन शरीर में नई ऊर्जा का संचार करता है और थकान व कमजोरी को दूर करता है।
डायबिटीज में फायदेमंद: गिलोय रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है, जो टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है।
पाचन तंत्र को सुधारता है: यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है और पेट संबंधी समस्याओं जैसे कब्ज, एसिडिटी में आराम दिलाता है।
श्वसन संबंधी समस्याओं के लिए: अस्थमा और सांस की समस्याओं में गिलोय का सेवन फायदेमंद माना जाता है।
त्वचा के लिए लाभकारी: इसके सेवन से त्वचा की समस्याएं दूर होती हैं और त्वचा में चमक आती है।
गिलोय का उपयोग कैसे करें:
गिलोय का उपयोग पाउडर, जूस, या इसके ताजे तने का रस निकालकर किया जा सकता है। इसे गर्म पानी के साथ लिया जाता है या कभी-कभी इसे काढ़े के रूप में भी पी सकते हैं।
सावधानी: गिलोय के उपयोग से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक या डॉक्टर से सलाह लेना अच्छा होता है, खासकर यदि आप किसी गंभीर बीमारी या स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त हैं।
