पुरानी डायरी के पन्ने एक पुरानी डायरी में छुपे राज़ और उनसे जुड़े रिश्तों की कहानी। Kahaniyan in Hindi
उस दिन बारिश हो रही थी। घर की छत से टपकते पानी की आवाज़ और हवा में बिखरी नमी ने मुझे बचपन की यादों में खो जाने के लिए मजबूर कर दिया। मैंने अटारी में रखे पुराने बक्से को खोलने का फैसला किया। वहाँ से निकली एक पुरानी डायरी ने मेरे जीवन के कई राज़ खोल दिए। यह डायरी मेरी माँ की थी, जिसे उन्होंने अपनी जवानी के दिनों में लिखा था !!
उसके पन्ने पलटते ही मैं एक ऐसी दुनिया में पहुँच गया, जहाँ रिश्तों की गहराई, खुशियों के पल, और दर्द के गहरे निशान छिपे हुए थे।
डायरी का पहला पन्ना 12 मार्च, 1985 का था। मेरी माँ ने लिखा था, आज मैंने राहुल को पहली बार देखा।
वह कॉलेज के नए छात्र हैं। उनकी मुस्कान में एक अजीब सी मासूमियत है, जो मुझे अपनी ओर खींच रही है।
यह पंक्तियाँ पढ़कर मैं हैरान रह गया। राहुल... यह नाम मैंने पहले कभी नहीं सुना था। कौन था यह राहुल? क्या वह मेरे पिता थे? लेकिन मेरे पिता का नाम तो विजय था।
यह सवाल मेरे मन में उठा और मैंने डायरी को आगे पढ़ने का फैसला किया।
अगले कुछ पन्नों में मेरी माँ ने राहुल के साथ बिताए पलों का जिक्र किया था। वह लिखती हैं,
राहुल और मैं अक्सर कॉलेज की लाइब्रेरी में मिलते हैं। वह मुझे कविताएँ सुनाते हैं और मैं उन्हें अपने सपनों के बारे में बताती हूँ। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक है,
जो मुझे लगता है कि मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी।" यह पंक्तियाँ पढ़कर मुझे लगा कि राहुल मेरी माँ के लिए कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे। वह उनके जीवन का एक अहम हिस्सा रहे होंगे।
लेकिन फिर डायरी के अगले पन्नों में एक अचानक मोड़ आया। मेरी माँ ने लिखा, आज राहुल ने मुझे बताया कि उन्हें अपने परिवार की वजह से शहर छोड़ना पड़ेगा।
वह मुझसे कहते हैं कि वह मुझसे प्यार करते हैं, लेकिन उनकी जिम्मेदारियाँ उन्हें मेरे साथ नहीं रहने दे रही हैं।
मैं समझ नहीं पा रही हूँ कि मैं क्या करूँ। मेरा दिल टूट गया है।" यह पंक्तियाँ पढ़कर मेरा दिल भारी हो गया।
मैंने महसूस किया कि मेरी माँ ने अपने जीवन में एक गहरा दर्द झेला था, जिसके बारे में मैं कभी नहीं जानता था।
डायरी के अगले पन्नों में मेरी माँ ने अपने जीवन में आए एक नए व्यक्ति का जिक्र किया था। वह लिखती हैं !
आज विजय ने मुझसे बात की। वह मेरे कॉलेज के दोस्त हैं और हमेशा से मेरे करीब रहे हैं।
उन्होंने मुझसे कहा कि वह मुझसे प्यार करते हैं और मेरे साथ अपना जीवन बिताना चाहते हैं।
मैंने उन्हें हाँ कह दिया। शायद यही मेरे जीवन का सही फैसला है। यह पंक्तियाँ पढ़कर मुझे एहसास हुआ कि विजय मेरे पिता थे।
लेकिन मेरे मन में यह सवाल उठा कि क्या मेरी माँ ने विजय से सच्चे प्यार से शादी की थी, या फिर वह सिर्फ अपने दर्द को भूलने के लिए उनके साथ हो गई थीं?
डायरी के आखिरी पन्नों में मेरी माँ ने अपने विवाहित जीवन के बारे में लिखा था। वह लिखती हैं,
विजय एक अच्छे इंसान हैं, लेकिन मैं अक्सर खुद से सवाल करती हूँ कि क्या मैंने सही फैसला किया। राहुल की यादें अब भी मेरे दिल में जिंदा हैं।
मैं उन्हें भूल नहीं पाई हूँ।" यह पंक्तियाँ पढ़कर मुझे लगा कि मेरी माँ ने अपने जीवन में एक बड़ा त्याग किया था।
उन्होंने अपने दिल की बजाय अपनी जिम्मेदारियों को चुना था।
डायरी को पढ़कर मैंने महसूस किया कि मेरी माँ के जीवन में एक गहरा दर्द छिपा हुआ था,
जिसके बारे में मैं कभी नहीं जानता था। मैंने सोचा कि क्या मैं उनसे इस बारे में बात करूँ, लेकिन फिर मैंने सोचा कि शायद यह उनके लिए एक पुराना ज़ख्म है!
जिसे मैं फिर से नहीं खोलना चाहता। मैंने डायरी को वापस बक्से में रख दिया और अटारी से नीचे आ गया।
उस दिन के बाद से मैंने अपनी माँ को एक नए नज़रिए से देखना शुरू किया। मैंने महसूस किया कि उनके जीवन में कई ऐसे पल थे,
जिन्हें उन्होंने अपने दिल में दबा लिया था। मैंने उनके त्याग और संघर्ष को समझा और उनके प्रति मेरा प्यार और भी गहरा हो गया।
पुरानी डायरी के पन्नों ने मुझे सिखाया कि जीवन में कई बार हमें ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं, जो हमारे दिल के खिलाफ होते हैं, लेकिन हम उन्हें अपनी जिम्मेदारियों की वजह से मान लेते हैं।
मेरी माँ ने भी ऐसा ही किया था। उन्होंने अपने प्यार को त्याग दिया और अपने परिवार के लिए खुद को समर्पित कर दिया। यह उनका त्याग था, जिसने मुझे एक बेहतर जीवन दिया।
आज जब मैं उस पुरानी डायरी के पन्नों को याद करता हूँ, तो मुझे लगता है !
कि जीवन में कुछ राज़ ऐसे होते हैं, जिन्हें हमेशा के लिए दबा दिया जाता है।
लेकिन कभी-कभी वह राज़ हमारे सामने आ जाते हैं और हमें जीवन की एक नई समझ दे जाते हैं। मेरी माँ की डायरी ने मुझे यही सिखाया कि जीवन में प्यार, त्याग, और जिम्मेदारियाँ सबका अपना एक महत्व होता है।
और कभी-कभी हमें अपने दिल की बजाय अपनी जिम्मेदारियों को चुनना पड़ता है।
