Aligarh ki SAS damad ki love story :शादी की तारीख 16 अप्रैल दिन में घंटों फोन पर बात करते फिर एक दिन दोनों अचानक गायब जाने पूरी बातें..
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश का एक ऐसा शहर, जो अपनी ताले की कारीगरी और ऐतिहासिक विश्वविद्यालय के लिए जाना जाता है, आजकल एक अनोखी खबर के लिए सुर्खियों में है। ये खबर न तो किसी त्योहार की है, न ही किसी बड़े आयोजन की, बल्कि ये एक ऐसी कहानी है, जो रिश्तों की नई परिभाषा गढ़ रही है। बात है एक सास और होने वाले दामाद की, जिनके बीच की नजदीकियों ने पूरे शहर में हलचल मचा दी। ये कहानी सिर्फ दो लोगों की नहीं, बल्कि समाज, परिवार और रिश्तों के बदलते रंगों की है। आइए, इसे आसान और दिलचस्प अंदाज में समझते हैं।
*सास-दामाद कहानी की शुरुआत !
बात कुछ इस तरह शुरू हुई। अलीगढ़ के एक छोटे से गांव में जितेंद्र नाम के एक शख्स रहते थे। जितेंद्र बेंगलुरु में नौकरी करते थे और उनका परिवार गांव में रहता था। उनकी बेटी शिवानी की शादी तय हुई थी एक लड़के, राहुल, के साथ। राहुल पास के ही एक गांव का था। शादी की तारीख 16 अप्रैल तय थी, और घर में तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं। गहने बन रहे थे, नकदी का इंतजाम हो रहा था, और गांव में हर कोई इस शादी के लिए उत्साहित था। लेकिन, जैसा कि जिंदगी में अक्सर होता है, कहानी में एक ट्विस्ट आया।
शिवानी की मां, अनीता, और राहुल के बीच बातचीत शुरू हुई। पहले तो ये बातें आम थीं—शादी की तैयारियों को लेकर, घर की छोटी-मोटी बातें। अनीता ने राहुल को एक स्मार्टफोन भी गिफ्ट किया, ताकि बातचीत आसान हो। लेकिन धीरे-धीरे ये बातें कुछ ज्यादा लंबी होने लगीं। जितेंद्र को बाद में पता चला कि अनीता और राहुल दिन में घंटों फोन पर बात करते थे। शिवानी को भी ये बात अजीब लगी, क्योंकि राहुल उससे बहुत कम बात करता था। फिर एक दिन, शादी से कुछ दिन पहले, अनीता और राहुल दोनों अचानक गायब हो गए।
जब अनीता घर से निकलीं, तो उन्होंने कहा था कि वो किसी काम से जा रही हैं। लेकिन वो वापस नहीं लौटीं। उधर, राहुल ने भी अपने घरवालों से कहा कि वो शादी के कपड़े खरीदने जा रहा है, और वो भी गायब। परिवार वालों ने पहले तो सोचा कि शायद कोई गलतफहमी है। लेकिन जब दोनों का कोई अता-पता नहीं चला, तो सच्चाई सामने आई। अनीता घर से 5 लाख रुपये के गहने और 3.5 लाख रुपये नकद लेकर गई थीं, जो शादी के लिए रखे गए थे। ये खबर सुनकर जितेंद्र और शिवानी का पूरा परिवार सदमे में आ गया।
शिवानी को सबसे ज्यादा गुस्सा अपनी मां पर था। उसने कहा, "मेरी मां ने मेरे सपनों को तोड़ दिया। वो मेरे लिए रखे गहने और पैसे तक ले गईं।" जितेंद्र ने पुलिस में शिकायत दर्ज की, और पुलिस ने अनीता की गुमशुदगी का मामला दर्ज किया। खबर ये भी आई कि राहुल और अनीता उत्तराखंड की ओर गए हैं, लेकिन उनका सही ठिकाना अभी तक नहीं मिला।
ये खबर गांव से निकलकर पूरे अलीगढ़ और फिर सोशल मीडिया तक पहुंच गई। लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। कोई अनीता को गलत ठहरा रहा था, तो कोई राहुल को कोस रहा था। कुछ लोग इसे प्यार की आजादी कह रहे थे, तो कुछ इसे रिश्तों की मर्यादा को तोड़ने वाला कदम बता रहे थे। गांव की चौपालों पर बूढ़े-बुजुर्ग ये चर्चा करते कि "ऐसा तो पहले कभी नहीं सुना।" बच्चे भी स्कूलों में इस कहानी को मजाक के तौर पर सुनाते। लेकिन सवाल वही था—क्या प्यार की कोई उम्र होती है? क्या रिश्तों की कोई सीमा होती है?
इस कहानी ने कई सवाल खड़े किए। एक तरफ अनीता और राहुल का फैसला था, जो उनके लिए सही लगा होगा। दूसरी तरफ शिवानी और जितेंद्र का दर्द था, जिनका भरोसा टूटा। समाज में रिश्तों को हमेशा एक खास ढांचे में देखा जाता है। सास और दामाद का रिश्ता तो सम्मान और जिम्मेदारी का होता है। लेकिन जब ये रिश्ता प्यार में बदल जाए, तो लोग हैरान हो जाते हैं।
कुछ लोग कहते हैं कि अनीता ने गलत किया, क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी के भविष्य की चिंता नहीं की। लेकिन कुछ का मानना है कि अनीता ने वही किया, जो उनके दिल ने कहा। राहुल की भी आलोचना हो रही है, क्योंकि उसने अपनी होने वाली पत्नी को छोड़कर उसकी मां को चुना। लेकिन सवाल ये भी है कि क्या प्यार को गलत या सही के तराजू में तौला जा सकता है?
पुलिस इस मामले में सक्रिय है। जितेंद्र ने साफ कहा है कि वो अपनी पत्नी को वापस लाना चाहते हैं। शिवानी का कहना है कि उसे अब अपनी मां से कोई मतलब नहीं, बस वो अपने गहने और पैसे वापस चाहती है। पुलिस को शक है कि अनीता और राहुल उत्तराखंड में कहीं छुपे हैं। कुछ खबरों में ये भी कहा गया कि राहुल ने जितेंद्र को फोन पर धमकी दी और कहा, "20 साल तुम्हारे साथ रह ली, अब वो मेरी है।" लेकिन ये बातें अभी पक्की नहीं हैं।
*हम क्या सीख सकते हैं?
ये कहानी हमें कई चीजें सिखाती है। पहली बात, रिश्तों में भरोसा बहुत जरूरी है। अगर अनीता और राहुल की बातें पहले ही घरवालों को पता चल जातीं, तो शायद ये नौबत न आती। दूसरी बात, समाज को भी बदलते वक्त के साथ सोच बदलनी होगी। प्यार और रिश्तों को सिर्फ पुरानी परंपराओं के चश्मे से नहीं देखा जा सकता। तीसरी बात, परिवार में बातचीत का रास्ता हमेशा खुला रखना चाहिए। अगर शिवानी या जितेंद्र ने अनीता से खुलकर बात की होती, तो शायद ये दूरी न बढ़ती।
इस कहानी को अगर हम थोड़ा अलग ढंग से देखें, तो ये सिर्फ एक सास और दामाद की कहानी नहीं है। ये उस समाज की कहानी है, जो बदल रहा है। आज लोग अपनी खुशी को पहले से ज्यादा अहमियत दे रहे हैं। लेकिन इस खुशी की तलाश में कई बार वो दूसरों का दुख भूल जाते हैं। अनीता और राहुल ने जो किया, वो उनके लिए सही हो सकता है, लेकिन शिवानी और जितेंद्र के लिए ये एक बड़ा धक्का है। ये कहानी हमें सिखाती है कि अपने फैसलों में दूसरों की भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए।
अपने परिवार से हमेशा खुलकर बात करनी चाहिए। अगर कुछ गलत लगे, तो उसे छुपाने की बजाय बताना चाहिए। बूढ़ों के लिए ये एक मौका है कि वो नई पीढ़ी को समझें और उनके फैसलों का सम्मान करें। हर इंसान को अपनी जिंदगी जीने का हक है, लेकिन इस हक का इस्तेमाल दूसरों को ठेस पहुंचाए बिना करना चाहिए।
अलीगढ़ की ये कहानी अब सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक सबक बन गई है। ये हमें रिश्तों, प्यार और समाज के बारे में सोचने पर मजबूर करती है। अनीता और राहुल का भविष्य क्या होगा, ये तो वक्त बताएगा। लेकिन इस कहानी ने ये साबित कर दिया कि जिंदगी में कुछ भी हो सकता है। जरूरी है कि हम हर स्थिति में प्यार, समझदारी और सम्मान को बरकरार रखें।
Reviewed by Health gyandeep
on
अप्रैल 13, 2025
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