Lakshman Rekha ki katha : लक्ष्मण ने अपनी ताकत और भक्ति से जमीन पर एक रेखा खींची जो सीता को हर खतरे से बचाने का पूरा पढ़े
लक्ष्मण रेखा! यह नाम सुनते ही मन में रामायण की वह घटना तैरने लगती है, जब लक्ष्मण ने सीता माता के लिए एक रेखा खींची थी। लेकिन आज मैं आपको इस कथा को एक नए और सरल अंदाज में सुनाने जा रहा हूँ। तो चलिए, शुरू करते हैं! कई साल पहले, जब धरती पर धर्म और सत्य का बोलबाला था, अयोध्या में राजा दशरथ के चार पुत्रों में सबसे बड़े थे श्री राम। राम, उनकी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण वनवास के लिए निकले। जंगल में उनकी जिंदगी सादगी भरी थी। वे कुटिया में रहते थे, फल खाते, नदियों से पानी पीते और प्रकृति के बीच समय बिताते। लेकिन जंगल में खतरे भी कम न थे। राक्षसों का आतंक हर तरफ था।
एक दिन राम, सीता और लक्ष्मण अपनी कुटिया में थे। जंगल की शांति में पक्षियों की चहचहाहट गूंज रही थी। सीता माता फूल चुन रही थीं, और लक्ष्मण पास में बैठकर तीर-धनुष साफ कर रहे थे। तभी राम ने कहा, "लक्ष्मण, मुझे कुछ देर के लिए जंगल में जाना है। तुम सीता की रक्षा करना।" लक्ष्मण ने सिर झुकाकर कहा, "भैया, आप निश्चिंत रहें। मैं माता की रक्षा करूँगा।"
राम जंगल की ओर चले गए। लेकिन कुछ ही देर बाद एक अजीब घटना हुई। एक सुनहरा हिरण कुटिया के पास उछलता-कूदता आया। उसकी चमक ऐसी थी कि सूरज भी शरमा जाए। सीता माता ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "लक्ष्मण, कितना प्यारा हिरण है! अगर राम इसे देखें तो कितना खुश होंगे। क्या तुम इसे पकड़ सकते हो?"
लक्ष्मण को कुछ शक हुआ। उन्होंने कहा, "माता, यह जंगल है। यह हिरण कोई साधारण जानवर नहीं हो सकता। मुझे लगता है यह राक्षसों की चाल हो सकती है।" लेकिन सीता ने हँसते हुए कहा, "लक्ष्मण, तुम भी न! हर चीज में शक करते हो। यह तो बस एक मासूम हिरण है।"
सीता की बात सुनकर लक्ष्मण चुप रहे। लेकिन जब सीता ने बार-बार अनुरोध किया, तो लक्ष्मण ने सोचा कि वे जल्दी लौट आएँगे। लेकिन इससे पहले कि वे हिरण के पीछे जाएँ, लक्ष्मण ने कुछ सोचा। उन्होंने सीता से कहा, "माता, मैं हिरण को पकड़ने जा रहा हूँ, लेकिन आप कुटिया से बाहर न निकलें। मैं एक रेखा खींचता हूँ। यह रेखा आपको सुरक्षित रखेगी।
लक्ष्मण ने अपनी ताकत और भक्ति से जमीन पर एक रेखा खींची। यह कोई साधारण रेखा नहीं थी। यह एक ऐसी रेखा थी, जो सीता को हर खतरे से बचाने का वादा करती थी। लक्ष्मण ने कहा, "माता, जब तक मैं लौट न आएँ, तब तक आप इस रेखा को पार न करें। यह रेखा आपकी रक्षा करेगी।
लक्ष्मण हिरण के पीछे चले गए। लेकिन वह हिरण कोई और नहीं, बल्कि रावण का चालाक मामा मारीच था। मारीच ने हिरण का रूप लिया था ताकि राम और लक्ष्मण को सीता से दूर ले जाए। जब लक्ष्मण हिरण का पीछा कर रहे थे, मारीच ने राम की आवाज में चिल्लाया, "हाय सीता! हाय लक्ष्मण!" यह सुनकर सीता घबरा गईं।
सीता ने सोचा कि राम खतरे में हैं। उन्होंने कुटिया से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन लक्ष्मण रेखा उनके सामने थी। सीता का मन बेचैन था। तभी एक साधु के वेश में रावण वहाँ आया। उसने सीता से भिक्षा माँगी। सीता दयालु थीं। उन्होंने भिक्षा देने के लिए रेखा पार करने की सोची, लेकिन लक्ष्मण की बात याद आई। फिर भी, रावण की चालाकी और राम की चीख की चिंता में सीता ने रेखा पार कर दी।
जैसे ही सीता ने रेखा पार की, रावण ने अपना असली रूप दिखाया। वह कोई साधु नहीं, बल्कि लंका का राक्षस राजा रावण था। उसने सीता को जबरदस्ती अपने रथ में बिठाया और लंका की ओर उड़ चला। सीता चिल्लाईं, लेकिन जंगल में उनकी आवाज खो गई। रास्ते में जटायु नाम का गिद्ध राजा सीता को बचाने आया। उसने रावण से युद्ध किया, लेकिन रावण ने उसे घायल कर दिया।
उधर, लक्ष्मण और राम वापस लौटे। कुटिया खाली थी। लक्ष्मण रेखा टूटी हुई थी। राम का दिल टूट गया। उन्होंने लक्ष्मण से कहा, "लक्ष्मण, तुमने सीता की रक्षा क्यों नहीं की?" लक्ष्मण ने सारी बात बताई। राम को समझ आया कि यह रावण की चाल थी।
लक्ष्मण रेखा सिर्फ एक रेखा नहीं थी। यह विश्वास, आज्ञा और सुरक्षा की कहानी है। सीता ने लक्ष्मण की बात मानी, लेकिन एक पल के लिए उनका मन डगमगा गया। यह हमें सिखाता है कि अनुशासन और विश्वास कितना जरूरी है। लक्ष्मण रेखा आज भी एक प्रतीक है—जो हमें बताता है कि सीमाओं का सम्मान करना कितना जरूरी है।
हर इंसान को बताती है कि सच्चाई और अच्छाई आखिर में जीतती है।
अब इस कहानी में एक नया रंग जोड़ते हैं। कल्पना करें कि लक्ष्मण रेखा कोई साधारण रेखा नहीं, बल्कि एक चमकती हुई जादुई रेखा थी। जब लक्ष्मण ने इसे खींचा, तो जंगल के पशु-पक्षी भी इसे देखकर रुक गए। यह रेखा न सिर्फ सीता को बचाती थी, बल्कि जंगल में शांति भी लाती थी। जब सीता ने इसे पार किया, तो जंगल की चमक थोड़ी फीकी पड़ गई। लेकिन जब राम ने सीता को वापस लाया, तो वह रेखा फिर से चमक उठी। यह रेखा आज भी हर दिल में चमकती है, जब हम अपने वादों को निभाते हैं।
लक्ष्मण रेखा की कहानी हमें बताती है कि जिंदगी में कुछ सीमाएँ जरूरी होती हैं। जैसे घर में माता-पिता की बात मानना, स्कूल में नियमों का पालन करना, या दोस्तों के साथ विश्वास बनाए रखना। ये छोटी-छोटी रेखाएँ हमें सुरक्षित और खुश रखती हैं।
तो अगली बार जब कोई आपको कोई सीमा बताए, तो उसे लक्ष्मण रेखा समझें। उसे प्यार और सम्मान से देखें। क्योंकि हर रेखा के पीछे कोई न कोई आपकी फिक्र करता है।
Reviewed by Health gyandeep
on
अप्रैल 14, 2025
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