सुबह की हल्की ठंडी हवा में कॉलेज का माहौल खुशनुमा लग रहा था। सर्दी अपनी विदाई लेने को थी, और बसंत की हल्की हल्की महक हर ओर फैली थी। शौर्य अपने दोस्तों के साथ कैंपस के गार्डन में बैठा था, जब उसकी नजर अचानक सामने से गुजरती हुई लड़की पर पड़ी। उसने गुलाबी रंग का सूट पहना हुआ था, बाल खुले थे और उसके चेहरे पर अजीब-सा सुकून था। शौर्य की नजरें जैसे ठहर गईं।
"यार, ये कौन है?" उसने अपने दोस्त रोहित से पूछा।
"अरे, ये? ये अनन्या है। कुछ दिन पहले ही हमारी क्लास में आई है।
बहुत कम बोलती है, बस अपने काम से काम रखती है।"
शौर्य को उसकी सादगी ने पहली ही नजर में मोहित कर लिया था। वह जानता था कि उसे यह अहसास प्यार है या सिर्फ आकर्षण, लेकिन इतना तय था कि वह अनन्या से बात करना चाहता था।
अगले कुछ दिनों तक शौर्य ने अनन्या को दूर से ही देखा, पर बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। फिर एक दिन लाइब्रेरी में उसे मौका मिल ही गया। अनन्या एक किताब निकालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वह ऊँची शेल्फ पर रखी थी। शौर्य ने बिना कुछ कहे किताब निकालकर उसकी ओर बढ़ा दी।
"थैंक यू," अनन्या ने मुस्कुराते हुए कहा।
"कोई बात नहीं। वैसे, मैं शौर्य... और तुम?" उसने जानबूझकर पूछा, हालांकि वह पहले से जानता था।
"अनन्या," उसने हल्के से जवाब दिया और किताब लेकर चली गई।
इतनी छोटी-सी बातचीत ने भी शौर्य को खुशी से भर दिया।
इसके बाद शौर्य ने कई बार अनन्या से बात करने की कोशिश की। कभी नोट्स मांगने के बहाने, तो कभी ग्रुप असाइनमेंट में शामिल होकर। अनन्या को भी शौर्य का व्यवहार अच्छा लगने लगा था। वह जान गई थी कि शौर्य अलग है, उसकी तरह बाकी लड़कों जैसा नहीं। धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहरी होती गई।
शौर्य अनन्या के स्वभाव से बहुत प्रभावित था। वह बहुत शांत और समझदार थी। लेकिन एक चीज उसे हमेशा अजीब लगती—अनन्या कभी अपने घर या पर्सनल लाइफ के बारे में बात नहीं करती थी।
एक दिन, जब दोनों कैंपस की झील के पास बैठे थे, शौर्य ने पूछ ही लिया—
"तुम कभी अपने परिवार के बारे में नहीं बताती?"
अनन्या थोड़ी देर चुप रही, फिर हल्की मुस्कान के साथ बोली, "कुछ बातें अधूरी ही रहने दो, शौर्य।"
शौर्य को समझ नहीं आया, लेकिन उसने ज़बरदस्ती नहीं की।
समय बीतता गया और दोस्ती कब प्यार में बदल गई, दोनों को पता ही नहीं चला। एक दिन शौर्य ने तय कर लिया कि वह अनन्या से अपने दिल की बात कहेगा।
वह उसे कॉलेज के गार्डन में ले गया, जहाँ फूल खिले हुए थे और हल्की हवा बह रही थी।
"अनन्या, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ..."
अनन्या ने उसकी आँखों में देखा।
"मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।"
कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया। फिर अनन्या की आँखें नम हो गईं।
"शौर्य, मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ... लेकिन हमें साथ नहीं होना चाहिए।"
"क्यों, अनन्या? क्या कोई परेशानी है?"
"शौर्य, मेरा अतीत बहुत दर्दनाक है। मैं एक ऐसी लड़की हूँ, जो सिर्फ कुछ वक्त के लिए खुश रह सकती है, लेकिन हमेशा के लिए किसी की नहीं हो सकती।"
शौर्य ने उसका हाथ थाम लिया। "तुम्हारा अतीत जो भी हो, मैं तुम्हारे साथ हूँ।"
लेकिन अनन्या ने सिर हिला दिया।
कुछ दिनों तक शौर्य ने अनन्या को बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन वह बार-बार दूर जाने की बात करती रही। एक दिन वह अचानक कॉलेज से गायब हो गई।
शौर्य ने उसे हर जगह ढूँढा, लेकिन वह नहीं मिली।
कुछ महीनों बाद, एक दोस्त से उसे खबर मिली कि अनन्या बहुत पहले ही एक गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। वह जानती थी कि उसकी ज़िंदगी लंबी नहीं है, इसलिए उसने शौर्य को खुद से दूर कर दिया।
शौर्य यह सुनकर टूट गया। वह समझ गया कि अनन्या उसे इसलिए दूर कर रही थी ताकि वह दुखी न हो।
शौर्य आज भी अनन्या को याद करता है। प्यार अधूरा रह गया, लेकिन उसकी यादें हमेशा उसके दिल में जिंदा रहीं।
क्योंकि कुछ प्रेम कहानियाँ मुकम्मल नहीं होतीं, लेकिन फिर भी अमर रहती हैं... कैसी लगी यह कहानी !
