prahlad aur hiranyakashyap ki story: भक्ति कभी नहीं छोड़ूंगा।" यह सुनकर हिरण्यकश्यप का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया...

प्राचीन भारत की पौराणिक कथाओं में प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। यह एक ऐसी कहानी है जो भक्ति, साहस और अच्छाई की जीत को दर्शाती है। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, हर कोई इसे आसानी से समझ सकता है और इसके संदेश से प्रेरणा ले सकता है। आइए, इस कहानी को सरल और रोचक तरीके से जानते हैं !


*हिरण्यकश्यप कौन था?

हिरण्यकश्यप एक शक्तिशाली राक्षस राजा था। वह बहुत बलवान और अहंकारी था। उसने कठोर तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से एक विशेष वरदान मांगा था। इस वरदान के अनुसार, उसे न दिन में मरने का डर था, न रात में। न इंसान उसे मार सकता था, न जानवर। न घर के अंदर उसकी मृत्यु हो सकती थी, न बाहर। इस वरदान ने उसे लगभग अमर बना दिया था। वह सोचता था कि अब कोई उसे हरा नहीं सकता। इसलिए उसने खुद को भगवान घोषित कर दिया और लोगों से कहा कि वे सिर्फ उसी की पूजा करें।



*प्रह्लाद का जन्म और उसकी भक्ति का शक्ति!

हिरण्यकश्यप का एक बेटा था, जिसका नाम प्रह्लाद था। प्रह्लाद बचपन से ही बहुत शांत और समझदार था। जहां उसके पिता को अपनी शक्ति पर घमंड था, वहीं प्रह्लाद का मन भगवान विष्णु की भक्ति में रमा हुआ था। वह हर समय भगवान का नाम जपता और उनकी कहानियां सुनता। यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल पसंद नहीं थी। वह चाहता था कि उसका बेटा भी उसकी तरह बने और उसकी पूजा करे, लेकिन प्रह्लाद ने ऐसा करने से मना कर दिया।



हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को कई बार समझाया कि वह भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ दे, लेकिन प्रह्लाद नहीं माना। उसने कहा, "पिताजी, भगवान विष्णु ही सच्चे रक्षक हैं। वे हर जगह हैं और सबकी रक्षा करते हैं। मैं उनकी भक्ति कभी नहीं छोड़ूंगा।" यह सुनकर हिरण्यकश्यप का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उसने सोचा कि वह अपने बेटे को डराकर या मारकर उसकी भक्ति खत्म कर देगा।



हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को डराने और मारने के लिए कई क्रूर तरीके अपनाए। पहले उसने प्रह्लाद को जहरीले सांपों के बीच फेंक दिया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से सांपों ने उसे काटा नहीं। फिर उसे ऊंचे पहाड़ से नीचे फेंक दिया गया, लेकिन वह सुरक्षित बच गया। हिरण्यकश्यप ने उसे आग में जलाने की कोशिश की, पर आग भी उसे छू नहीं सकी। हर बार प्रह्लाद भगवान का नाम लेता और बच जाता। यह देखकर हिरण्यकश्यप और भी परेशान हो गया।



हिरण्यकश्यप की बहन होलिका भी बहुत चालाक थी। उसे एक वरदान मिला था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप ने होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ जाए, ताकि प्रह्लाद जल जाए और होलिका बच जाए। होलिका ने ऐसा ही किया। उसने प्रह्लाद को अपनी गोद में लिया और आग में बैठ गई। लेकिन भगवान की कृपा से चमत्कार हो गया। आग ने होलिका को जला दिया, और प्रह्लाद सुरक्षित बाहर आ गया। यह घटना आज भी होली के त्योहार के रूप में मनाई जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।


*नरसिंह अवतार का आगमन!

हिरण्यकश्यप अब बहुत डर गया था, लेकिन उसका घमंड कम नहीं हुआ। उसने प्रह्लाद से पूछा, "तुम्हारा भगवान विष्णु कहां है? क्या वह मुझे रोक सकता है?" प्रह्लाद ने शांति से जवाब दिया, "वह हर जगह हैं, इस खंभे में भी।" यह सुनकर हिरण्यकश्यप ने गुस्से में खंभे पर जोर से प्रहार किया। तभी उस खंभे से भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में प्रकट हुए। नरसिंह का रूप आधा शेर और आधा इंसान का था।



नरसिंह ने हिरण्यकश्यप को पकड़ लिया। यह समय न दिन था, न रात—यह संध्या का समय था। नरसिंह ने उसे न घर के अंदर मारा, न बाहर—बल्कि चौखट पर। नरसिंह न इंसान थे, न जानवर—उनका रूप दोनों का मिश्रण था। इस तरह हिरण्यकश्यप का वरदान बेकार हो गया और नरसिंह ने उसे मार डाला। इस तरह बुराई का अंत हुआ और प्रह्लाद की भक्ति की जीत हुई।



हिरण्यकश्यप के मरने के बाद प्रह्लाद बहुत दुखी हुआ, क्योंकि वह अपने पिता से प्यार करता था। उसने भगवान से प्रार्थना की कि उसके पिता के पाप माफ हो जाएं। भगवान ने उसकी प्रार्थना सुनी और उसे आशीर्वाद दिया। प्रह्लाद ने अपने जीवन में कभी घमंड नहीं किया और हमेशा भगवान की भक्ति की। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची भक्ति और अच्छाई हमेशा जीतती है, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं।


*आज के समय में प्रह्लाद की कहानी!

प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की यह कहानी आज भी हमारे लिए प्रेरणा है। यह हमें सिखाती है कि हमें अपने अंदर के अहंकार को खत्म करना चाहिए और सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहिए। बच्चे इस कहानी से साहस सीख सकते हैं, और बड़े लोग इसमें भक्ति और धैर्य का महत्व समझ सकते हैं। होली का त्योहार भी इसी कहानी की याद दिलाता है, जब हम रंगों के साथ बुराई को जलाने का जश्न मनाते हैं।



प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कहानी सिर्फ एक कथा नहीं है, बल्कि जीवन का एक सबक है। यह हमें बताती है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अच्छाई और सच्चाई के सामने उसकी हार निश्चित है। प्रह्लाद का विश्वास और उसका साहस हमें प्रेरित करता है कि हम भी अपने जीवन में मुश्किलों से न डरें और सही रास्ते पर चलें।



 

prahlad aur hiranyakashyap ki story: भक्ति कभी नहीं छोड़ूंगा।" यह सुनकर हिरण्यकश्यप का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया... prahlad aur hiranyakashyap ki story: भक्ति कभी नहीं छोड़ूंगा।" यह सुनकर हिरण्यकश्यप का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया... Reviewed by Health gyandeep on अप्रैल 07, 2025 Rating: 5
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