City of Dreams: A unique moral in Hindi story

कभी-कभी सपनों का पीछा करना हमें ऐसी जगह ले जाता है, जहाँ न सिर्फ़ हमारा दिल बल्कि पूरी दुनिया बदल जाती है। ये कहानी है एक ऐसे शहर की, जिसे लोग "सपनों का शहर" कहते थे। यह शहर न तो किसी नक्शे पर था, न ही किसी ने इसे सचमुच देखा था। फिर भी, इसकी कहानियाँ हर गाँव, हर कस्बे में गूँजती थीं। आइए, इस अनोखी कहानी में डूब जाएँ, जो बच्चों, बूढ़ों और हर दिल को छू लेगी।


किसी समय की बात है, एक छोटा-सा गाँव था, जिसका नाम था सुखनगर। सुखनगर के लोग मेहनती थे, लेकिन उनके सपने छोटे-छोटे थे। कोई अच्छा घर चाहता था, कोई अपनी फसल को हरा-भरा देखना चाहता था। लेकिन गाँव के बाहर, जंगल के उस पार, एक रहस्यमयी जगह की बातें होती थीं—सपनों का शहर। कहते थे कि जो भी वहाँ जाता, उसके सारे सपने सच हो जाते। लेकिन शहर तक का रास्ता इतना मुश्किल था कि कोई हिम्मत नहीं करता था।


सुखनगर में एक लड़का रहता था, जिसका नाम था अमन। अमन बारह साल का था, लेकिन उसकी आँखों में सपने बड़ों से भी बड़े थे। वह चाहता था कि सुखनगर के हर बच्चे को स्कूल मिले, हर बूढ़े को छाया, और हर इंसान को मुस्कान। एक रात, जब चाँद आसमान में चमक रहा था, अमन ने ठान लिया कि वह सपनों का शहर ढूँढेगा। उसने अपनी छोटी-सी पोटली में रोटियाँ, पानी की बोतल और एक पुराना कंबल डाला, और निकल पड़ा।



जंगल का रास्ता आसान नहीं था। पेड़ इतने घने थे कि सूरज की रोशनी भी मुश्किल से ज़मीन तक पहुँचती थी। अमन को पहले दिन ही एक नदी मिली, जिसका पानी तेज़ी से बह रहा था। नदी के उस पार एक बूढ़ा आदमी बैठा था, जिसके पास एक छोटी-सी नाव थी। 


"बाबा, मुझे नदी पार करनी है," अमन ने विनम्रता से कहा।


बूढ़े ने मुस्कुराकर कहा, "बेटा, नाव में जगह तभी मिलेगी, जब तू अपने दिल का बोझ हल्का कर दे। क्या है जो तुझे परेशान करता है?"


अमन ने सोचा। उसे याद आया कि वह अपनी बहन से झगड़ा करके आया था। उसने मन ही मन माफी माँगी और बोला, "मैंने अपनी बहन को गुस्से में कुछ बुरा कहा था। अब मुझे पछतावा है।"


बूढ़े ने हँसकर कहा, "बस, इतना ही? चल, बैठ जा।" नाव ने अमन को नदी के उस पार पहुँचा दिया। अमन ने सीखा कि माफी माँगने से दिल हल्का हो जाता है।




अगले दिन, अमन को एक ऊँचा पहाड़ मिला। पहाड़ पर चढ़ना मुश्किल था, लेकिन ऊपर एक चमकती रोशनी दिख रही थी। अमन ने हिम्मत की और चढ़ने लगा। रास्ते में उसे एक घायल चिड़िया मिली, जो चीं-चीं कर रही थी। अमन उसे छोड़कर आगे जा सकता था, लेकिन उसने रुककर चिड़िया के पंख पर मरहम लगाया और उसे पानी पिलाया।


जैसे ही चिड़िया उड़ी, पहाड़ की चोटी पर रोशनी और तेज़ हो गई। अमन को समझ आया कि दूसरों की मदद करने से रास्ते आसान हो जाते हैं। वह चोटी तक पहुँचा, और वहाँ से उसे एक सुनहरा रास्ता दिखा, जो सपनों के शहर की ओर जा रहा था।



कई दिन और कई रातों के बाद, अमन आखिरकार सपनों के शहर पहुँचा। यह शहर वैसा नहीं था जैसा उसने सोचा था। न यहाँ सोने के महल थे, न चाँदी की सड़कें। यह एक साधारण-सा शहर था, लेकिन हर चेहरे पर मुस्कान थी। लोग एक-दूसरे की मदद करते थे, बच्चे हँसते-खेलते थे, और बूढ़े कहानियाँ सुनाते थे।


शहर के बीच में एक बड़ा-सा पेड़ था, जिसके नीचे एक बूढ़ी अम्मा बैठी थीं। अमन ने उनसे पूछा, "अम्मा, यह सपनों का शहर है न? यहाँ तो सब कुछ साधारण है!"


अम्मा ने हँसकर कहा, "बेटा, सपनों का शहर कोई जगह नहीं, बल्कि एक एहसास है। यह वही जगह है, जहाँ लोग अपने सपनों को सच करने के लिए मेहनत करते हैं, एक-दूसरे का साथ देते हैं। तू यहाँ तक आया, यानी तूने अपने सपनों को जीना शुरू कर दिया।"


अमन को समझ आया कि असली सपनों का शहर वही है, जहाँ लोग प्यार, मेहनत और ईमानदारी से रहते हैं।



अमन वापस सुखनगर लौटा। उसने गाँव वालों को अपनी कहानी सुनाई। उसने बताया कि सपनों का शहर कोई दूर की जगह नहीं, बल्कि हमारा अपना गाँव हो सकता है। बस, हमें एक-दूसरे की मदद करनी होगी।


गाँव वालों ने मिलकर काम शुरू किया। बच्चों के लिए स्कूल बना, बूढ़ों के लिए एक छोटा-सा आश्रम, और हर घर के बाहर एक पौधा लगाया गया। धीरे-धीरे, सुखनगर सचमुच सपनों का शहर बन गया। अमन की छोटी-सी कोशिश ने पूरे गाँव को बदल दिया।



यह कहानी हमें सिखाती है कि सपने सिर्फ़ देखने से पूरे नहीं होते। उन्हें सच करने के लिए हिम्मत, मेहनत और अच्छे काम चाहिए। दूसरों की मदद करना, माफी माँगना, और छोटी-छोटी खुशियाँ बाँटना यही वो रास्ता है, जो हमें सपनों के शहर तक ले जाता है।

City of Dreams: A unique moral in Hindi story City of Dreams: A unique moral in Hindi story Reviewed by Health gyandeep on अप्रैल 28, 2025 Rating: 5
Blogger द्वारा संचालित.