बारिश की बूंदें सिर्फ पानी की बूंदें नहीं, बल्कि जादुई कहानियों का खजाना हैं। ये बूंदें जब आसमान से धरती पर उतरती हैं, तो अपने साथ हंसी, सीख और जिंदगी के रंग लाती हैं। आज हम ऐसी ही पांच अनोखी कहानियों के जरिए बारिश की बूंदों का जादू देखेंगे। ये कहानियां इतनी सरल और मजेदार हैं कि बच्चे, बड़े और बुजुर्ग, सभी इन्हें पढ़कर मुस्कुरा उठेंगे। हर कहानी में बारिश की बूंदें कुछ नया सिखाएंगी, और आपको ऐसा लगेगा जैसे आप खुद उस जादुई दुनिया का हिस्सा हैं!
• पहली कहानी: नन्ही बूंद का बड़ा सपना !
एक छोटे से गांव में, जहां बारिश का इंतजार हर दिल में बसता था, एक नन्ही सी बूंद रहती थी। उसका नाम था "टिमटिम"। टिमटिम बादल में अपनी चुलबुली सहेलियों के साथ मस्ती करती थी, लेकिन जब बारिश का समय आया, तो वह डर गई। उसने बादल मामा से कहा, "मैं तो इतनी छोटी हूं। धरती इतनी बड़ी है, मुझसे क्या होगा? शायद मैं हवा में ही गायब हो जाऊं!"
बादल मामा ने हंसकर कहा, "टिमटिम, तुम छोटी हो, लेकिन तुममें जादू है। जाओ, धरती को अपना कमाल दिखाओ!" टिमटिम ने हिम्मत जुटाई और छलांग लगा दी। वह हवा में नाचती-गाती धरती की ओर बढ़ी। अचानक, वह एक मुरझाए हुए गुलाब के फूल पर जा गिरी। उसकी एक बूंद ने फूल को फिर से जिंदगी दी। अगले दिन, फूल लाल रंग में खिल उठा। गांव की छोटी रानी ने फूल देखा और खुशी से नाचने लगी। टिमटिम ने आसमान से देखा और मुस्कुराई।
• सीख: चाहे तुम कितने छोटे क्यों न हो, हिम्मत और सपने बड़े होने चाहिए। छोटा काम भी बड़ा बदलाव ला सकता है।
• दूसरी कहानी: चुलबुली बूंद और चतुर कौआ !
एक गर्मी की दोपहर, एक कौआ प्यास से परेशान था। उसका नाम था कालू। कालू को एक पुराना मटका मिला, लेकिन उसमें पानी बहुत नीचे था। कालू उदास हो गया। तभी आसमान में बादल गरजे और बारिश की कुछ शरारती बूंदें गिरीं। एक बूंद, जिसका नाम था "चुलबुली", मटके में कूद पड़ी। उसने कालू से कहा, "अरे कालू, उदास क्यों हो? मैं अकेली तो तुम्हारी प्यास नहीं बुझा सकती, लेकिन तुम कुछ तो करो!"
कालू ने चुलबुली की बात सुनी और दिमाग लगाया। उसने आसपास से छोटे-छोटे कंकड़ इकट्ठा किए और मटके में डालने लगा। चुलबुली और उसकी सहेली बूंदें भी बारिश बनकर मटके में शामिल हो गईं। धीरे-धीरे पानी ऊपर आ गया। कालू ने खूब पानी पिया और चुलबुली को धन्यवाद देते हुए कांव-कांव गाना गाया। चुलबुली हंसकर बोली, "देखा, मेहनत और थोड़ा जादू मिल जाए, तो सब मुमकिन है!"
• सीख: मेहनत और छोटी सी मदद मिलकर असंभव को संभव बना सकती है। हार मत मानो, कुछ न कुछ जरूर करो!
• तीसरी कहानी: बूंदों की जादुई रेस !
एक बार बारिश की बूंदों में मजेदार रेस हुई। कुछ बूंदें चिल्लाईं, "हम नदी में जाएंगी, वहां हमारी शान होगी!" कुछ बोलीं, "नहीं, समुद्र में, वहां हम सबसे चमकदार होंगी!" लेकिन एक बूंद, जिसका नाम था "मुस्कान", चुपके से मुस्कुरा रही थी। जब उससे पूछा गया, तो उसने कहा, "मुझे रेस नहीं जीतनी। मैं वहां जाऊंगी, जहां कोई मुझे याद रखे।"
मुस्कान एक छोटे से खेत में गिरी, जहां नन्हा किसान मिट्टी अपनी फसल के लिए बारिश का इंतजार कर रहा था। मुस्कान और उसकी सहेलियों ने खेत को तरबतर कर दिया। कुछ ही दिनों में खेत हरा-भरा हो गया। नन्हा अपनी फसल देखकर नाचने लगा और बोला, "ये बारिश मेरे लिए जादू है!" नदी और समुद्र में गई बूंदें तो बड़ी थीं, लेकिन मुस्कान ने साबित कर दिया कि दूसरों की खुशी में ही असली जीत है।
• सीख: बड़ा बनने से ज्यादा जरूरी है, किसी के लिए कुछ खास करना। सच्ची जीत दिल जीतने में है।
• चौथी कहानी: शरारती बूंद और बच्चों का खेल !
शहर के एक स्कूल में बच्चे बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। उनकी टीचर ने कहा, "बारिश आए, तो बाहर जाओ, मस्ती करो और कुछ नया सीखो!" जैसे ही बारिश शुरू हुई, बच्चे छाता छोड़कर बाहर भागे। एक बच्चा, जिसका नाम था मिंटू, बारिश की बूंदों को अपनी टोपी में पकड़ने की कोशिश कर रहा था। एक शरारती बूंद, जिसका नाम था "छलछल", मिंटू की टोपी में रुकी और बोली, "मुझे पकड़ने से क्या फायदा? मुझे आजाद छोड़ो, मैं तुम्हें और मजा दूंगी!"
मिंटू ने छलछल को आजाद कर दिया। छलछल जमीन पर गिरी और एक छोटे से गड्ढे में तालाब बन गया। मिंटू और उसके दोस्तों ने कागज की नाव बनाई और तालाब में नाव दौड़ शुरू कर दी। बारिश की बूंदों ने बच्चों के चेहरों पर इंद्रधनुष जैसी मुस्कान बिखेर दी। मिंटू ने समझ लिया कि कुछ चीजों को बांटने में ही असली मजा है।
• सीख: हर चीज को अपने पास रखने की जरूरत नहीं। बांटने से खुशी और दोस्ती बढ़ती है।
• पांचवीं कहानी: जादुई बूंद और बूढ़ा पेड़ !
एक जंगल में एक बूढ़ा पेड़ था, जिसकी पत्तियां सूख चुकी थीं। वह उदास था, क्योंकि पक्षी अब उसकी डालियों पर नहीं आते थे। एक दिन जोरदार बारिश हुई। एक जादुई बूंद, जिसका नाम था "चमक", पेड़ की जड़ों तक पहुंची। उसने पेड़ से कहा, "बूढ़े दादाजी, उदास मत हो। मैं तुम्हें फिर से जवान कर दूंगी!"
चमक और उसकी सहेली बूंदों ने पेड़ की जड़ों को खूब पानी पिलाया। कुछ ही दिनों में पेड़ की पत्तियां हरी हो गईं। चिड़ियां फिर से उसकी डालियों पर गाना गाने लगीं। बूढ़ा पेड़ खुशी से झूम उठा और चमक से बोला, "तुमने मुझे सिखाया कि जिंदगी कभी खत्म नहीं होती, बस थोड़ा जादू चाहिए।"
• सीख: चाहे उम्र कितनी भी हो, अगर मन में उम्मीद और मदद हो, तो जिंदगी फिर से खिल सकती है।
अगली बार जब बारिश हो, तो बाहर निकलो, बूंदों को अपने गालों पर नाचने दो और उनकी कहानियां सुनो। शायद तुम्हें भी कोई जादुई सीख मिले। बारिश सिर्फ पानी नहीं, जिंदगी का एक चमकता तोहफा है, जो हर बार कुछ नया जादू लाता है।
Reviewed by Health gyandeep
on
अप्रैल 28, 2025
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