hindi story for kids: प्यार की छांव छोटू हर सुबह गांव के बाहर लकड़ियां बीनता बेचकर दो रोटी का इंतजाम दादी उसे देखतीं और...
प्यार एक ऐसी चीज है जो हर किसी को चाहिए। यह न मांगता है, न तौलता है, बस देता है और दिल को सुकून पहुंचाता है। आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूं, जो प्यार की छांव में बनी है। यह कहानी न बड़ों की है, न बच्चों की, बल्कि हर उस इंसान की है जो अपने दिल में थोड़ी सी जगह प्यार के लिए रखता है। तो चलिए, गांव की एक गली में चलते हैं, जहां हवा में मिट्टी की खुशबू और प्यार की गर्माहट बिखरी हुई है !
एक छोटा सा गांव था, जहां नदियां गुनगुनाती थीं और पेड़ हवा से बातें करते थे। उस गांव में रहता था छोटू, एक 10 साल का लड़का। छोटू का चेहरा सूरज की तरह चमकता था, लेकिन उसकी जिंदगी में एक उदासी थी। उसके मां-बाप नहीं थे। वह अपनी बूढ़ी दादी के साथ एक छोटी सी झोपड़ी में रहता था। दादी की कमर झुक गई थी, आंखें धुंधली हो गई थीं, लेकिन उनका दिल अभी भी प्यार से भरा था।
छोटू हर सुबह गांव के बाहर जाता, लकड़ियां बीनता और उन्हें बेचकर दो रोटी का इंतजाम करता। दादी उसे देखतीं और कहतीं, "छोटू, तू मेरा सूरज है। तेरे बिना ये झोपड़ी अंधेरी हो जाती।" छोटू हंसता और कहता, "दादी, मैं तो बस आपकी छांव में रहना चाहता हूं।" दादी की मुस्कान ही छोटू की दुनिया थी।
एक दिन गांव में एक अनजान आदमी आया। उसका नाम था रमेश। रमेश शहर से भागकर आया था। उसके पास न पैसा था, न घर। बस एक थैला था जिसमें कुछ पुराने कपड़े और एक टूटी हुई तस्वीर थी। वह गांव के चौक पर बैठ गया। लोग उसे देखते, कुछ हंसते, कुछ डरते, लेकिन कोई पास नहीं जाता।
छोटू उस दिन लकड़ियां बेचकर लौट रहा था। उसने रमेश को देखा। रमेश की आंखों में उदासी थी, जैसे कोई पुराना दर्द छुपा हो। छोटू को दादी की बात याद आई, "जो उदास हो, उसे प्यार की जरूरत होती है।" छोटू ने अपनी जेब से एक रोटी निकाली जो उसने अपने लिए रखी थी और रमेश को दे दी। रमेश ने चौंककर कहा, "ये तू मुझे क्यों दे रहा है? तुझे भूख नहीं लगेगी?" छोटू मुस्कुराया, "दादी कहती हैं, प्यार बांटने से बढ़ता है।"
रमेश को छोटू की बात छू गई। उसने रोटी ली और कहा, "तेरे पास दिल बड़ा है, छोटू।" फिर रमेश ने अपनी कहानी सुनाई। वह शहर में एक दुकान चलाता था, लेकिन एक दिन आग लग गई। सब जल गया—दुकान, घर, सपने। उसकी बीवी और बच्चे उसे छोड़ गए। रमेश अकेला रह गया था। छोटू ने कहा, "अब तुम अकेले नहीं हो। हमारे पास आ जाओ।"
रमेश छोटू के साथ उसकी झोपड़ी में गया। दादी ने उसे देखा और बिना कुछ पूछे कहा, "बेटा, बैठ जा। ये घर छोटा है, लेकिन प्यार बड़ा है।" रमेश को लगा जैसे उसे कोई छांव मिल गई। उस रात तीनों ने एक साथ रोटी खाई। रमेश ने पहली बार महीनों बाद मुस्कुराया।
रमेश अब रोज छोटू के साथ लकड़ियां बीनने जाता। वह गांव वालों के लिए छोटे-मोटे काम करने लगा। कोई टूटी कुर्सी ठीक करता, तो कोई छत पर चढ़कर मिट्टी डालता। धीरे-धीरे गांव वाले उसे अपनाने लगे। छोटू और दादी के साथ उसकी जिंदगी में रंग भरने लगे। एक दिन रमेश ने कहा, "छोटू, मैं एक छोटी सी दुकान शुरू करना चाहता हूं। क्या तू मेरी मदद करेगा?" छोटू ने हंसकर कहा, "क्यों नहीं, चाचा! हम सब मिलकर करेंगे।
गांव वालों ने भी मदद की। किसी ने लकड़ी दी, किसी ने छप्पर बनाया। दुकान तैयार हुई। रमेश ने उसमें चाय और बिस्किट बेचना शुरू किया। दादी हर शाम वहां बैठतीं और लोगों से बातें करतीं। छोटू स्कूल जाने लगा, क्योंकि रमेश ने कहा, "पढ़ाई से जिंदगी की छांव और बड़ी होती है।
समय बीतता गया। दुकान चल पड़ी। रमेश अब उदास नहीं था। छोटू बड़ा हो रहा था और दादी की मुस्कान अब भी वैसी ही थी। एक दिन दादी ने छोटू और रमेश को पास बुलाया। उनकी आंखों में आंसू थे। उन्होंने कहा, "मेरी उम्र अब पूरी हो रही है। लेकिन मैं खुश हूं कि तुम दोनों को एक-दूसरे की छांव मिल गई।" उस रात दादी सोईं और फिर कभी नहीं उठीं।
छोटू और रमेश रोए, लेकिन दादी की बात उनके दिल में बस गई। उन्होंने दुकान के पास एक पेड़ लगाया और उसका नाम रखा "दादी का प्यार।" वह पेड़ बड़ा हुआ और उसकी छांव में लोग बैठने लगे। गांव वाले कहते, "ये पेड़ नहीं, प्यार की छांव है।
इस कहानी से हमें एक बात समझ आती है—प्यार वो छांव है जो हर मौसम में साथ देती है। छोटू ने रमेश को रोटी दी, रमेश ने छोटू को हौसला दिया और दादी ने दोनों को प्यार का मतलब सिखाया। जिंदगी में मुश्किलें आएंगी, सूरज तपेगा, बारिश होगी, लेकिन अगर दिल में प्यार हो, तो हर मुश्किल आसान हो जाती है।
तो दोस्तों, अपने आसपास देखो। कोई उदास है, कोई अकेला है। उसे थोड़ा सा प्यार दो। एक मुस्कान, एक मदद का हाथ, या बस दो मीठे बोल। प्यार बांटो, क्योंकि ये वो छांव है जो कभी खत्म नहीं होती। ये कहानी और उसका सबक हर उम्र के इंसान के लिए है। इसे पढ़ो, सोचो और अपने जीवन में प्यार की छांव फैलाओ।
Reviewed by Health gyandeep
on
अप्रैल 11, 2025
Rating:
