hindi story writing with moral : गांव की गलियां एक अनोखी कहानी

 गांव की गलियां, वो मिट्टी की सौंधी खुशबू, वो पेड़ों की छांव, और वो हंसी-ठिठोली जो हर कोने से गूंजती है। शहर की चकाचौंध से दूर, गांव की गलियां अपने आप में एक दुनिया बुनती हैं, जहां हर कदम पर जिंदगी की सादगी और प्यार छिपा होता है। आज मैं आपको ले चलता हूं एक ऐसे गांव की कहानी में, जो न कहीं पढ़ा होगा, न सुना होगा। ये कहानी है मोहनपुर गांव की, जहां की गलियां सिर्फ रास्ते नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने वाली डोर हैं !


मोहनपुर गांव दूर पहाड़ी की तलहटी में बसा था। न कोई बड़ा बाजार, न ऊंची इमारतें। बस छोटे-छोटे मिट्टी के घर, जिनकी दीवारों पर बच्चों के रंग-बिरंगे हाथों के निशान थे। गांव की गलियां पतली थीं, पर उनमें जिंदगी की चौड़ाई थी। सुबह होते ही गलियों में गायों की घंटियां, बच्चों की चहक, और बूढ़ी अम्मा की लाठी की टक-टक सुनाई देती। हर गली अपने आप में एक कहानी थी।


गांव में एक खास गली थी, जिसे सब "चौपाल वाली गली" कहते थे। ये गली सिर्फ रास्ता नहीं थी, बल्कि गांव का दिल थी। यहां शाम को सारे गांववाले इकट्ठा होते। बच्चे खेलते, जवान गप्पे मारते, और बूढ़े अपनी पुरानी कहानियां सुनाते। चौपाल के पास एक पुराना बरगद का पेड़ था, जिसके नीचे बैठकर लोग दुनिया-जहान की बातें करते।


इस कहानी का हीरो है छोटू, एक नन्हा सा लड़का, जिसकी आंखों में चमक और दिल में ढेर सारे सपने थे। छोटू की उम्र थी बस दस साल, पर उसकी समझ किसी बड़े से कम नहीं थी। छोटू को अपनी गलियों से बहुत प्यार था। वो हर दिन सुबह उठकर अपनी साइकिल पर निकल पड़ता और गांव की हर गली को नाप आता।


एक दिन छोटू को चौपाल वाली गली में कुछ अलग सा दिखा। बरगद के पेड़ के पास एक पुरानी लालटेन टंगी थी, जो पहले कभी नहीं देखी थी। लालटेन में हल्की सी रोशनी टिमटिमा रही थी। छोटू ने उत्सुकता में लालटेन को छुआ, और अचानक उसे लगा जैसे गली में रंग बदल गए हों। गली की दीवारें चमकने लगीं, और हर कोने से हंसी-खुशी की आवाजें आने लगीं।


छोटू को समझ नहीं आया कि ये क्या हो रहा है। तभी एक बूढ़ी दादी की आवाज गूंजी, "छोटू, ये गली जादुई है। ये हर उस इंसान के दिल की बात सुनती है, जो इसे प्यार से देखता है।" छोटू ने हैरानी से पूछा, "दादी, ये लालटेन क्या है?" दादी मुस्कुराईं और बोलीं, "ये लालटेन गांव के प्यार और एकता की निशानी है। इसे जलाए रखने के लिए सबको मिलकर काम करना पड़ता है।



छोटू ने ठान लिया कि वो इस लालटेन का रहस्य समझेगा। उसने गांव के बच्चों को इकट्ठा किया और सबको बताया कि लालटेन को जलाए रखने के लिए कुछ करना होगा। बच्चे उत्साह में आ गए। किसी ने कहा, "हम गली को साफ करेंगे!" किसी ने कहा, "हम दीवारों पर रंग करेंगे!" और किसी ने कहा, "हम चौपाल पर एक नाटक करेंगे, जिसमें गांव की एकता की कहानी होगी।"


अगले दिन से गलियां और चहक उठीं। बच्चे झाड़ू लेकर गलियों को साफ करने लगे। बड़े-बुजुर्ग भी देखकर खुश हुए और मदद को आगे आए। राधा चाची ने बच्चों को रंग लाकर दिया, और मोहन काका ने अपनी पुरानी ढोलक निकाल ली। गांव के जवान लड़कों ने दीवारों पर सुंदर-सुंदर चित्र बनाए—खेत, नदियां, और गांव की हंसी। छोटू की छोटी सी बात ने पूरे गांव को एक कर दिया।



कई दिनों की मेहनत के बाद, एक शाम चौपाल पर बड़ा सा आयोजन हुआ। बच्चे नाटक करने को तैयार थे। नाटक की कहानी थी एक ऐसे गांव की, जहां लोग एक-दूसरे से झगड़ते थे, लेकिन एक छोटे बच्चे ने सबको प्यार और एकता का महत्व समझाया। नाटक देखकर गांववाले तालियां बजाने लगे। बूढ़ी दादी की आंखों में आंसू थे। उन्होंने छोटू को गले लगाया और कहा, "तूने लालटेन को फिर से जला दिया, बेटा।"


उस रात चौपाल वाली गली में लालटेन पहले से ज्यादा चमक रही थी। गांववाले एक साथ हंस रहे थे, गा रहे थे, और पुरानी कहानियां सुना रहे थे। छोटू को समझ आ गया कि असली जादू लालटेन में नहीं, बल्कि गांववालों के दिलों में था। जब सब मिलकर कुछ करते हैं, तो हर गली जादुई बन जाती है।



मोहनपुर की गलियां आज भी वही हैं—पतली, मिट्टी वाली, और सादगी से भरी। पर अब हर गली में एक कहानी बसती है। छोटू बड़ा हो गया, पर उसकी वो बातें आज भी गांववाले याद करते हैं। लालटेन अब भी चौपाल पर टंगी है, और बच्चे उसे देखकर नई-नई कहानियां बनाते हैं।


इस कहानी का सबक बड़ा सादा है—हमारी गलियां, हमारा गांव, या हमारा घर तभी खूबसूरत बनता है, जब हम सब मिलकर उसमें प्यार और मेहनत डालते हैं। एक छोटा सा कदम, एक छोटी सी कोशिश, पूरे गांव को रोशन कर सकती है। जिंदगी की गलियां भी ऐसी ही होती हैं—अगर प्यार और एकता से चला जाए, तो हर मोड़ पर खुशी मिलती है।



आज अगर आप मोहनपुर जाएं, तो आपको वो लालटेन शायद न दिखे। पर गलियों की चमक, बच्चों की हंसी, और चौपाल की रौनक आपको जरूर मिलेगी। छोटू अब गांव का सरपंच है, और वो हर साल बच्चों के साथ मिलकर चौपाल पर एक नया आयोजन करता है। वो कहता है, "गलियां सिर्फ मिट्टी और पत्थर की नहीं होतीं, वो हमारे दिलों की राह होती हैं।


जिंदगी में खुशियां बांटने से बढ़ती हैं। अगर हम अपने आसपास के लोगों के साथ मिलकर छोटी-छोटी कोशिशें करें, तो हर गली, हर रास्ता जादुई बन सकता है।


hindi story writing with moral : गांव की गलियां एक अनोखी कहानी hindi story writing with moral : गांव की गलियां एक अनोखी कहानी Reviewed by Health gyandeep on अप्रैल 11, 2025 Rating: 5
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