lanka dahan ki pauranik katha

रामायण की कहानियों में हनुमान जी का नाम सुनते ही मन में भक्ति और साहस का भाव जाग उठता है। उनकी हर कथा हमें प्रेरणा देती है, और उनमें से एक है "लंका दहन" की कथा। यह कहानी न केवल रोमांचक है, बल्कि यह हमें सच्चाई, निष्ठा और आत्मविश्वास का पाठ भी पढ़ाती है। 


रामायण का वह समय था जब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था। भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण, सुग्रीव की वानर सेना के साथ, सीता जी की खोज में समुद्र के किनारे पहुंचे। सभी चिंतित थे कि आखिर सीता जी कहां हैं। तब सुग्रीव ने अपने सबसे प्रिय और शक्तिशाली वानर योद्धा हनुमान जी को बुलाया। हनुमान जी को भगवान राम पर अटूट विश्वास था। राम जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया, और हनुमान जी ने विशाल समुद्र को लांघने का संकल्प लिया।


हनुमान जी ने अपनी पूंछ को लंबा किया, अपनी शक्तियों को याद किया, और एक ही छलांग में समुद्र पार कर लिया। यह देखकर सभी वानर आश्चर्यचकित रह गए। हनुमान जी लंका पहुंचे, जहां रावण का विशाल और भव्य महल था। लेकिन उनका लक्ष्य था सीता जी को ढूंढना।




हनुमान जी ने लंका में छिपते-छिपाते सीता जी को खोज लिया। वे अशोक वाटिका में एक पेड़ के नीचे उदास बैठी थीं। रावण की राक्षसियां उन्हें डरा रही थीं, लेकिन सीता जी का मन केवल राम जी के भजन में लीन था। हनुमान जी ने पेड़ पर छिपकर यह सब देखा। फिर, उन्होंने राम जी की अंगूठी सीता जी को दी और कहा, "माता, मैं राम जी का दूत हनुमान हूं। वे जल्द ही आपको मुक्त कराने आएंगे।


सीता जी की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने हनुमान जी को अपना चूड़ामणि (कंगन) दिया और कहा, "इसे राम जी को देना और कहना कि मैं उनकी प्रतीक्षा कर रही हूं।" हनुमान जी ने माता को प्रणाम किया और सोचा, "अब लंका में कुछ ऐसा करना होगा कि रावण को राम जी की ताकत का अहसास हो।"




हनुमान जी ने सोचा कि रावण को सबक सिखाने का समय आ गया है। उन्होंने अशोक वाटिका के पेड़-पौधों को उखाड़ना शुरू किया। रावण के सैनिक आए, लेकिन हनुमान जी ने उन्हें अपनी पूंछ के एक ही झटके से उड़ा दिया। रावण का बेटा अक्षयकुमार भी हनुमान जी से लड़ने आया, लेकिन हनुमान जी के सामने उसकी एक न चली। यह खबर रावण तक पहुंची, और उसने अपने सबसे शक्तिशाली बेटे मेघनाद को भेजा।


मेघनाद ने हनुमान जी को पकड़ने के लिए ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया। हनुमान जी ब्रह्मास्त्र का सम्मान करते थे, इसलिए वे जानबूझकर बंधन में बंध गए। रावण के सैनिक उन्हें रावण की सभा में ले गए। रावण ने हनुमान जी को देखकर हंसी उड़ाई और कहा, "यह बंदर मेरे सामने क्या करेगा?"


हनुमान जी ने शांत स्वर में कहा, "रावण, तुमने माता सीता का हरण करके बहुत बड़ा पाप किया है। राम जी तुम्हें क्षमा नहीं करेंगे। अभी भी समय है, सीता जी को लौटा दो।" रावण क्रोधित हो गया और उसने हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने का आदेश दिया।




रावण के सैनिकों ने हनुमान जी की पूंछ में कपड़ा लपेटा, तेल डाला और आग लगा दी। लेकिन हनुमान जी तो भगवान राम के भक्त थे, और उनकी शक्ति असीम थी। आग ने उनकी पूंछ को नहीं जलाया, बल्कि हनुमान जी ने उस आग को अपना हथियार बना लिया।


उन्होंने अपने बंधन तोड़ दिए और लंका में कूदना शुरू कर दिया। उनकी पूंछ की आग से रावण के महल, बगीचे, और बाजार जलने लगे। हनुमान जी एक छलांग में यहां, दूसरी छलांग में वहां। पूरी लंका में हाहाकार मच गया। लोग चीख रहे थे, राक्षस भाग रहे थे, और रावण का गर्व धू-धू करके जल रहा था।


हनुमान जी ने सुनिश्चित किया कि अशोक वाटिका, जहां सीता जी थीं, वहां आग न पहुंचे। फिर, उन्होंने अपनी पूंछ को समुद्र में डुबोकर आग बुझाई और एक बार फिर समुद्र पार करके राम जी के पास लौट आए।



हनुमान जी जब राम जी के पास पहुंचे, तो उन्होंने सीता जी का चूड़ामणि उन्हें सौंपा और पूरी कहानी सुनाई। राम जी की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने हनुमान जी को गले लगाया और कहा, "हनुमान, तुमने न केवल सीता का पता लगाया, बल्कि रावण को उसकी औकात भी दिखा दी।


हनुमान जी ने विनम्रता से कहा, प्रभु, यह सब आपकी कृपा और शक्ति से हुआ। राम जी ने सुग्रीव और वानर सेना को युद्ध की तैयारी करने का आदेश दिया। लंका दहन की खबर ने सभी वानरों में जोश भर दिया।




लंका दहन की कहानी हमें कई बातें सिखाती है। पहला, भक्ति और निष्ठा की शक्ति। हनुमान जी ने राम जी के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। दूसरा, साहस और बुद्धि का मेल। हनुमान जी ने न केवल ताकत दिखाई, बल्कि अपनी चतुराई से रावण को सबक भी सिखाया। तीसरा, यह कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सच्चाई और धर्म के सामने उसका अंत निश्चित है।



lanka dahan ki pauranik katha lanka dahan ki pauranik katha Reviewed by Health gyandeep on मई 02, 2025 Rating: 5
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