Chane ki dal fayde -गाँव के बीचों-बीच रमिया चाची का छोटा सा घर था। उनकी रसोई की खुशबू पूरे मोहल्ले में फैलती थी। बच्चे, बूढ़े, जवान सब उनकी दाल की तारीफ करते। रमिया चाची की खासियत थी चने की दाल। एक दिन, गाँव का छोटा सा लड़का, टिंकू, उनकी रसोई में चुपके से घुस गया। उसने पूछा, चाची, ये दाल इतनी स्वादिष्ट और ताकतवर क्यों लगती है?
रमिया चाची मुस्कुराईं और बोलीं, टिंकू, ये चने की दाल है। ये सिर्फ स्वाद ही नहीं, सेहत का खजाना भी है। लेकिन इसे खाने का सही तरीका होना चाहिए, वरना ये शरारती भी हो सकती है। टिंकू की आँखों में चमक थी। उसने कहा, चाची, मुझे सब बताओ! और फिर रमिया चाची ने चने की दाल के फायदे और नुकसान की बात अपने वेबसाइट पर शुरू की, जैसे कोई पुरानी कहानी सुनाती हों।
• चने की दाल के फायदे!
रमिया चाची ने बताया, टिंकू, चने की दाल में प्रोटीन भरा होता है। ये तुम्हारे शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करता है। बच्चे जैसे तुम, जो दिनभर भागते हो, या बूढ़े जैसे हमारे बाबाजी, जिन्हें ताकत चाहिए, सबके लिए ये दाल किसी जादू की तरह काम करती है।
जानता है, ये दाल पेट को खुश रखती है, चाची ने हँसते हुए कहा। चने की दाल में फाइबर होता है, जो कब्ज की शिकायत को दूर भगाता है। ये पाचन को दुरुस्त रखती है, ताकि तुम्हें खाना खाने के बाद भारीपन न लगे।
चाची ने एक पुरानी कहानी याद की, हमारे गाँव के रामू काका को डॉक्टर ने कहा था कि चने की दाल खाओ, कोलेस्ट्रॉल कम होगा। ये दाल खराब कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करती है और दिल को स्वस्थ रखती है।
टिंकू, अगर किसी को शुगर की बीमारी है, तो ये दाल उनके लिए वरदान है, चाची ने समझाया। चने की दाल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, यानी ये ब्लड शुगर को अचानक नहीं बढ़ने देती।
चाची ने टिंकू को एक चम्मच दाल दिखाते हुए कहा, इसमें आयरन और फोलिक एसिड होता है। ये खून बढ़ाता है, खासकर औरतों और बच्चों के लिए ये बहुत अच्छा है।
जो लोग मोटापे से परेशान हैं, उनके लिए ये दाल किसी दोस्त की तरह है,चाची ने मुस्कुराते हुए कहा। इसमें कैलोरी कम होती है और पेट लंबे समय तक भरा रहता है, जिससे बार-बार भूख नहीं लगती।
•चाची ने बताया चने की दाल के नुकसान !
Chane ki dal nuksan -लेकिन रमिया चाची ने टिंकू को चेतावनी भी दी, बेटा, हर अच्छी चीज की एक हद होती है। चने की दाल भी अगर गलत तरीके से या ज्यादा खा लो, तो परेशानी दे सकती है।
चाची ने बताया, अगर दाल को अच्छे से नहीं भिगोया या पकाया, तो ये गैस और पेट फूलने की समस्या पैदा कर सकती है। खासकर जिनका पेट कमजोर है, उन्हें इसे हल्का पकाकर खाना चाहिए।
टिंकू, जिन्हें गठिया या जोड़ों का दर्द है, उन्हें ज्यादा चने की दाल नहीं खानी चाहिए, चाची ने समझाया। इसमें प्यूरीन होता है, जो यूरिक एसिड बढ़ा सकता है।
कुछ लोगों को चने की दाल से एलर्जी हो सकती है। चाची ने कहा, अगर किसी को खाने के बाद खुजली, चक्कर या साँस लेने में तकलीफ हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
जिनकी किडनी कमजोर है, उन्हें चने की दाल कम खानी चाहिए, चाची ने गंभीरता से कहा। इसमें प्रोटीन ज्यादा होता है, जो किडनी पर दबाव डाल सकता है।
•चाची ने बताया चने की दाल खाने का सही तरीका !
रमिया चाची ने टिंकू को कुछ आसान टिप्स दिए -
°दाल को 4-5 घंटे भिगोने से गैस की समस्या कम होती है।
°अदरक, हींग और जीरा डालने से दाल और पचने में आसान हो जाती है।
°रोज थोड़ी मात्रा में खाओ, ज्यादा नहीं।
°दाल खाने के बाद खूब पानी पीने से पाचन अच्छा रहता है।
टिंकू ने चाची की बातें ध्यान से सुनीं। उसने फैसला किया कि वो अपनी माँ को चने की दाल की रेसिपी बताएगा। रमिया चाची ने हँसते हुए कहा, टिंकू, ये दाल ताकत देती है, लेकिन इसे प्यार और समझदारी से खाना है। उस दिन टिंकू ने न सिर्फ दाल की तारीफ की, बल्कि पूरे गाँव में चाची की ज्ञान फैलाई।
• क्यों है चने की दाल खास?
चने की दाल हर भारतीय रसोई का हिस्सा है। ये सस्ती, स्वादिष्ट और सेहत से भरपूर है। बच्चे इसे आसानी से खा सकते हैं, और बूढ़ों के लिए ये हल्का और पौष्टिक होता है। इसे खाने से पहले बस थोड़ी सी सावधानी बरतें, और ये आपके शरीर को तंदुरुस्त रखेगी।
